आ जाए किसी दिन तू ऐसा भी नही लगता
लेकिन वो तेरा वादा झूठा भी नही लगता
मिलता है सुकूँ दिल को उस यार के कूचे में
हर रोज़ मगर जाना अच्छा भी नही लगता..
देखा है तुझे जब से बेचैन बहुत है दिल
कहने को कोई तुझ से रिश्ता भी नही लगता
क्या फ़ैसला करूँ उस के बारे में अब
वो गैर नही लेकिन अपना भी नही लगता
--मिर्ज़ा ग़ालिब
Are are bhai. kya kar rahe haiN aap.......
ReplyDeleteYe Ghalib ki nahi hai. kisi ki bhi ho par Ghalib ki nahi hai......