Monday, July 12, 2010

इस शहर-ए-नामुराद की इज़्ज़त करेगा

इस शहर-ए-नामुराद की इज़्ज़त करेगा कौन...
हम ही चले गये तो मोहब्बत करेगा कौन...

इस घर की देख-रेख के लिए वीरनियाँ तो हों...
जाले हटा दिए तो हिफ़ाज़त करेगा कौन...

सदमे से टूटने के लिए कुछ तो चाहिए...
कुछ भी नहीं तो इसकी शिकायत करेगा कौन...

मुझको खबर तो है की तू कमजोर है मगर...
मैं ये भी जनता हूँ हिमायत करेगा कौन...

--अल्ताफ राजा

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