माँगे तो क्या माँगे रब से, हो मन मे बची मुराद कोई,
चंदा को छूने की हसरत, पर अब ना तेरे बाद कोई..
वो बोले थे कह दो कहने से मन हल्का हो जाएगा,
जाती लहरों से उजड़े तट करते भी क्या फरियाद कोई.
हमराहों ने जब हाथ छोड़ थी खुशी-खुशी राहें बदली,
तन्हाई यूँ आकर बोली, मत डर है तेरे साथ कोई.
लोगो की नरम-मिजाजी से.. हम को तो सख़्त शिकायत है,
माना की हैं आबाद नही, इतने भी नही बर्बाद कोई
तन मिट्टी का ढलते ढलते, एक रोज धुआँ बन जाएगा,
बच जाएगी, बस जाएगी, जर्रों मे लेकिन याद कोई
--गौरव शुक्ला
E-mail : Gaurav_shukla06@infosys.com
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Wednesday, July 21, 2010
बच जाएगी, बस जाएगी, जर्रों मे लेकिन याद कोई
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वो बोले थे कह दो कहने से मन हल्का हो जाएगा,
ReplyDeleteजाती लहरों से उजड़े तट करते भी क्या फरियाद कोई.
waah, kya baat hai !
gaurav ji,
ReplyDeletecharchamanch ke maadhyam se aapke yahaan aana hua aur sach kahunga ki aana safal raha!
aapka bhi swagat hai mere ghar mein...jiska pata hai...
http://shayarichawla.blogspot.com/
A nice poem .congratulations.
ReplyDeleteasha
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteकमेंट्स की सेटिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें..टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी
भावपूर्ण रचना के लिये बधाई !
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