Tuesday, February 23, 2010

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे
दिल वो बेमेहर कि रोने के बहाने माँगे

अपना ये हाल के जी हार चुके लुट भी चुके
और मुहब्बत वही अन्दाज़ पुराने माँगे

हम ना होते तो किसी और के चर्चे होते
खल्क़त-ए-शहर तो कहने को फ़साने माँगे

दिल किसी हाल पे माने ही नहीं जान-ए-फराज़
मिल गये तुम भी तो क्या और ना जाने माँगे

--अहमद फ़राज़


Source : http://www.urdupoetry.com/faraz26.html

1 comment:

  1. होली की बधाइयाँ...आपके जीवन में भरपूर रंगों का हो समावेश...

    ReplyDelete