Tuesday, February 9, 2010

भले हम मिले भी तो क्या मिले, वही दूरियाँ वही फासले

भले हम मिले भी तो क्या मिले, वही दूरियाँ वही फासले,
न कभी हमारे क़दम बढे न कभी तुम्हारी झिझक गई

--बशीर बद्र

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