Thursday, February 4, 2010

दिल के रिशतों कि नज़ाकत वो क्या जाने फ़राज़

दिल के रिशतों कि नज़ाकत वो क्या जाने फ़राज़
नर्म लव्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर

--अहमद फराज़

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