क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे
दिल वो बेमेहर कि रोने के बहाने माँगे
अपना ये हाल के जी हार चुके लुट भी चुके
और मुहब्बत वही अन्दाज़ पुराने माँगे
हम ना होते तो किसी और के चर्चे होते
खल्क़त-ए-शहर तो कहने को फ़साने माँगे
दिल किसी हाल पे माने ही नहीं जान-ए-फराज़
मिल गये तुम भी तो क्या और ना जाने माँगे
--अहमद फ़राज़
Source : http://www.urdupoetry.com/faraz26.html
होली की बधाइयाँ...आपके जीवन में भरपूर रंगों का हो समावेश...
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