Wednesday, February 3, 2010

सिसकियों को दबा रही होगी

सिसकियों को दबा रही होगी
वो गज़ल गुनगुना रही होगी

ओढ़ कर के सुहाग इक लड़की
खत पुराने जला रही होगी

लोग यूं ही खफा नहीं होते
आपकी भी खता रही होगी

हादसों से मुझे बचा लाई
वो किसी की दुआ रही होगी

खैरियत से कटे सफर मेरा
आज माँ निर्जला रही होगी

--शिव ओम अम्बर


निर्जला=a fast in which a single drop of water is not allowed.

1 comment:

  1. आज युही अम्बर जी की कविता पढ़ते हुए महसूस हुआ की प्यासी सी रह गई अगर उनकी कविता "पालने में बुढ़ा गए बच्चे" पढने को मिल जाए तो आनंद आ जाए "

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