Sunday, January 10, 2010

बही लिखता हुआ सब रेज़गारी पूछ लेता है

बही लिखता हुआ सब रेज़गारी पूछ लेता है ,
वो नकदी लहजे से मेरी उधारी पूछ लेता है ,

बिना ताली के सब गाली बजा कर लौट पड़ते हैं
जो अपने खेल का पैसा मदारी पूछ लेता है

उठा कर बीन इस डर से कभी जंगल नहीं जाता
मैं पकडूं सांप कैसे वो पिटारी पूछ लेता है

तेरे इज़हार पर हैरान: है 'रिताज़' वो ऐसे
के जैसे मोल गहने का भिखारी पूछ लेता है

--रिताज़ मैनी

1 comment:

  1. ये तो अत्यंत अर्थ पूर्ण है एक अत्यंत नायब रत्न आपके कोष ka

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