Thursday, January 7, 2010

नादान बचपन

कागज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी
दिल ये आवारा था
कहां आ गया,
समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन ही कितना प्यारा था

--अज्ञात

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