Friday, January 8, 2010

मेरा ज़िक्र ना करना

दुख दर्द के मारों से मेरा ज़िक्र ना करना
घर जाओ तो यारों से मेरा ज़िक्र ना करना

वो ज़ब्त ना कर पायेंगें आखों के समन्दर
तुम राह गुज़ारों से मेरा ज़िक्र ना करना

फूलों के नशेमन में रही हूं सदा मैं
देखो कभी खारों से मेरा ज़िक्र ना करना

वो मेरे हाल में बेसख्त ना रो दे
इस बार बहारों से मेरा ज़िक्र ना करना

शायद ये अंधियारा ही मुझे राह दिखाये
तुम चांद सितारों से मेरा ज़िक्र ना करना

कहीं वो मेरी कहानी को गलत रंग न दे दे
अफसाना निगारों से मेरा ज़िक्र ना करना

गहराई में ले जायेंगें तुम को भी बहा कर
दरिया के किनारों से मेरा ज़िक्र ना करना

वो शक्स मिले तो उसे हर बात बताना
तुम सिर्फ़ इशारों से मेरा ज़िक्र ना करना

--अज्ञात


Raah guzaroo – travelers
Baysakhta – achanak
Afsaana nigaroon – story teller

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