Thursday, January 7, 2010

वो और हैं के जो दीदार करना चाहते हैं

यह लोग जिस से अब इनकार करना चाहते हैं
वो गुफ़्तुगू दर-ओ-दीवार करना चाहते हैं....

हमें खबर है गुज़रेगा एक सेल-ए-फ़ना
सो हम तुम्हें भी खरबारदार करना चाहते हैं

और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-खामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं

यहाँ तक आ तो गये आप की मोहब्बत में
अब और कितना गुनेहगार करना चाहते हैं

गुल-ए-उम्मीद फ़रोज़ां रहे तेरी खुश्बू
के लोग इसे भी गिरफ्तार करना चाहते हैं
[फरोज़ां = Illuminate, Lit-up]

उठाए फिरते हैं कब से अज़ाब ए दरमदरी
अब इस को वाकिफ-ए-राह-ए-यार करना चाहते हैं

वो हम हैं जो तेरी आवाज़ सुन क तेरे हुए
वो और हैं के जो दीदार करना चाहते हैं

--अज्ञात

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