खफा है मुझसे, मुझे परेशान करता है
अजब शक्स है, खुद से बदगुमान करता है
न मेरी परवाह है, न मेरे हाल की कुछ फिक्र
सलूक वो करने लगा है, जैसे अनजान करता है
वो मेरे ज़िक्र पे मुझसे कतरा कर गुज़र जाना
ऐसा लगता है, जैसे वो दूरी का सामान करता है
पहले तो मुझसे मिलना ही एहम था जिसके लिये
अब मिलता है, तो जैसे एहसान करता है
तालुक तोड़ना है तो आ के कह दे मुझसे
वो ऐसी बातें क्यों ग़ैरों से बयान करता है
--अज्ञात
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