Sunday, December 6, 2009

हर शाम हर रात इंतज़ार में गुज़री

हर शाम हर रात इंतज़ार में गुज़री
ज़िन्दगी बेबसी के सैलाब में गुज़री
हम वो फूल थे जिसे वो रख के भूल गये
फिर तमाम उम्र उनकी किताब में गुज़री

--अज्ञात

No comments:

Post a Comment