Sunday, December 27, 2009

दिल में और तो क्या रखा है

दिल में और तो क्या रखा है
तेरा दर्द छुपा रखा है।

इतने दुखों की तेज़ हवा में
दिल का दीप जला रखा है।

इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुख का नाम दवा रखा है।

वादा-ए-यार की बात न छेड़ो
ये धोखा भी खा रखा है।

भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में क्या रखा है।

चुप चुप क्यों रहते हो ‘नासिर’
ये क्या रोग लगा रखा है

--नासिर काज़मी

जान-ओ-दिल से मैं हारता ही रहूँ

जान-ओ-दिल से मैं हारता ही रहूँ
गर तेरी जीत मेंरी हार में है।
क्या हुआ गर खुशी नहीं बस में
मुसकुराना तो इख़्तियार में है।
–-फरहत शहजाद


इख़्तियार = Choice, Control, Influence, Option, Right

वही पलकों का झपकना वही जादू तेरे

वही पलकों का झपकना वही जादू तेरे
सारे अंदाज़ चुरा लाई है ख़ुशबू तेरे।

तुझसे मैं जिस्म चुराता था मगर इल्म न था
मेरे साये से लिपट जाएँगे बाज़ू तेरे ।

तेरी आँखों में पिघलती रही सूरत मेरी।
मेरी तसवीर पे गिरते रहे आँसू तेरे।

और कुछ देर अगर तेज़ हवा चलती रही
मेरी बाँहों में बिखर जाएँगे गेसू तेरे।

--अज्ञात

जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते?

जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते?
ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते?

किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते?

लिल्लाह शब-ओ-रोज़ की उलझन से निकालो
तुम मेरे नहीं हो तो बता क्यों नहीं देते?

रह रह के न तड़पाओ ऐ बेदर्द मसीहा
हाथों से मुझे ज़हर पिला क्यों नहीं देते?

जब इसकी वफ़ाओं पे यकीं तुमको नहीं है
‘हसरत’ को निग़ाहों से गिरा क्यों नहीं देते?

–-हसरत जयपुरी


हर्फ = Syllable, Letter
शब-ओ-रोज़ = Night and Day

Lyrics: Hasrat Jaipuri
Singer: Hussain Brothers

लोग कहते आये हैं जिसे ज़िन्दगी

for people who die to love, they are actually loving to die

लोग कहते आये हैं जिसे ज़िन्दगी
हमने तो उसकी हर अदा में मौत देखी है

--अज्ञात



(here 'zindagi' is the loved girl, jise dekhkar aashiq jite hain...ya fir pal-pal marte hain... )

खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज

खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज
कुरेद कर देख लेता है, और कहता है वक्त लगेगा !!

--तपेश कुमार

ना वो जाल रखती है, ना ज़ंजीर रखती है

ना वो जाल रखती है, ना ज़ंजीर रखती है
पर नज़रों से वार करने की तासीर रखती है
निकल जाती है पास से अजनबी बनकर दोस्तो
जो रात को तकिये के नीचे मेरी तस्वीर रखती है
--अज्ञात

तमन्ना कोई मेरे दिल की पूरी ना हुई

तमन्ना कोई मेरे दिल की पूरी ना हुई
चाहत का कोई अफसाना ना बना
आज फिर चली गयी नज़रों के सामने से
आज फिर उस से बात करने का बहाना ना बना
--अज्ञात

वो ख्वाबो की तरह सच्चा बहुत था

वो ख्वाबो की तरह सच्चा बहुत था
ये धोखा था मगर अच्छा बहुत था

वो मेरा है गलतफहमी थी मुझको
पर ये सच है मैं उसका बहुत था

--अज्ञात

Saturday, December 26, 2009

मुमकिन है, ज़िन्दगी का ये अन्दाज़-ए-इश्क़ हो

मुमकिन है, ज़िन्दगी का ये अन्दाज़-ए-इश्क़ हो
तु उसकी बेरुखी में कभी डूब के तो देख

--राजेश रेड्डी

Thursday, December 24, 2009

ज़माने के सवालों को मैं हस के टाल दूँ फराज़

ज़माने के सवालों को मैं हस के टाल दूँ फराज़
लेकिन नमी आंखों की कहती है, मुझे तुम याद आते हो
--अहमद फराज़

उसे मैं याद आता तो हूँ फुरसत के लम्हों मे फराज़

उसे मैं याद आता तो हूँ फुरसत के लम्हों मे फराज़
मगर ये हकीकत है, के उसे फुरसत नहीं मिलती
--अहमद फराज़

लाज़िम है मोहब्बत की कसक दोनो तरफ़ हो

लाज़िम है मोहब्बत की कसक दोनो तरफ़ हो
इक हाथ से तो ताली बजाई नही जाती
इक तुम हो फ़राज़ के करते नही इज़हार-ए-मोहब्बत
हम से तो दिल की बात छुपाई नही जाती
--अहमद फराज़

ग़म-ए-हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई

ग़म-ए-हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई
चले आओ के दुनिया से जा रहा है कोई

कोई अज़ल से कह दो, रुक जाये दो घड़ी
सुना है आने का वादा निभा रहा है कोई

वो इस नाज़ से बैठे हैं लाश के पास
जैसे रूठे हुए को मना रहा है कोई

पलट कर न आ जाये फ़िर सांस नब्ज़ों में
इतने हसीन हाथो से मय्यत सजा रहा है कोई

--अहमद फराज़

दिल गुमसुम, ज़ुबां खामोश

दिल गुमसुम, ज़ुबां खामोश, ये आंखें आज नम क्यों है
जब तुझे कभी पाया ही ना था, तो फिर आज खोने का ग़म क्यों है
--अज्ञात

Saturday, December 19, 2009

ये इश्क़ भी क्या है, इसे अपनाये कोई और

ये इश्क़ भी क्या है, इसे अपनाये कोई और
चाहूँ किसी और को, और याद आये कोई और
उस शक्स की महफिल कभी बरपा हो तो देखो
हो ज़िक्र किसी और का, शरमाये कोई और
--अज्ञात

Friday, December 18, 2009

कितने पास कितने दूर हैं हम

कितने पास कितने दूर हैं हम
खुदा ही जानता है कितने मजबूर हैं हम
सज़ा ये है कि मिल नहीं सकते आपसे
और गुनाह ये है के बेकसूर हैं हम
--अज्ञात

दिल दे तो इस मिजाज़ का परवरदिगार दे

दिल दे तो इस मिजाज़ का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी को खुशी में गुज़ार दे
--दाग देहलवी

Sunday, December 13, 2009

MISSED CALL तो मार दे

उस प्यारी सी सूरत का फिर एक बार दीदार दे
तड़प रहे हैं हम यहां, अब और ना इंतज़ार दे
आवाज़ मत सुना ए ज़ालिम मगर
कम से कम एक MISSED CALL तो मार दे
--अज्ञात

दिल को आता है जब भी खयाल उनका

दिल को आता है जब भी खयाल उनका
तस्वीर से पूछा करते हैं हम हाल उनका
वो कभी हम से पूछा करते थे, जुदाई क्या है
आज समझ आया है सवाल उनका
--अज्ञात

खफा है मुझसे, मुझे परेशान करता है

खफा है मुझसे, मुझे परेशान करता है
अजब शक्स है, खुद से बदगुमान करता है

न मेरी परवाह है, न मेरे हाल की कुछ फिक्र
सलूक वो करने लगा है, जैसे अनजान करता है

वो मेरे ज़िक्र पे मुझसे कतरा कर गुज़र जाना
ऐसा लगता है, जैसे वो दूरी का सामान करता है

पहले तो मुझसे मिलना ही एहम था जिसके लिये
अब मिलता है, तो जैसे एहसान करता है

तालुक तोड़ना है तो आ के कह दे मुझसे
वो ऐसी बातें क्यों ग़ैरों से बयान करता है

--अज्ञात

Saturday, December 12, 2009

ज़ुल्फें हैं उसकी भीगी हुई रात की तरह

ज़ुल्फें हैं उसकी भीगी हुई रात की तरह
लेहज़ा खुश्क खुश्क सा है बरसात की तरह
खुश्बू से उस हसीन की महकी है कायनात
उसका ख्याल भी है मुलाकात की तरह
--अज्ञात

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
--डा कुमार विश्वास

सीख जायेगा

हवा के रुख पे रहने दो, जलना सीख जायेगा
कि बच्चा लड़खड़ायेगा तो चलना सीख जायेगा

वो पहरों बैठ कर तोते से बातें करता है
चलो अच्छा है, अब नज़रें बदलना सीख जायेगा

इसी उम्मीद पर बदन को हमने कर लिया छलनी
कि पत्थर खाते खाते पेड़ फलना सीख जायेगा

ये दिल बच्चे की सूरत है, इसे सीने में रहने दो
बुरा होगा जो ये घर से निकलना सीख जायेगा

तुम अपना दिल मेरे सीने में कुछ दिन के लिये रख दो
यहां रह कर ये पत्थर भी पिघलना सीख जायेगा

--मुनव्वर राणा

सब की पूजा एक सी, क्या मन्दिर क्या पीर

सब की पूजा एक सी, क्या मन्दिर क्या पीर
जिस दिन सोया देर तक, भूखा रहा फ़कीर
--अज्ञात


Another version of this is here

कीमती पीते हैं, लाजवाब पीते हैं

कीमती पीते हैं, लाजवाब पीते हैं
बहुत पीते हैं, बेहिसाब पीते हैं
जब भी आती है तेरी याद
हम खून बेच कर शराब पीते हैं
--अज्ञात

Wednesday, December 9, 2009

मुझे नसीब हुआ उसके ध्यान में रहना

मुझे नसीब हुआ उसके ध्यान में रहना
ज़मीन पे होते हुए आसमान में रहना

मैं जानती हूँ की वो मेरा हो नहीं सकता
मुझे पसंद है लेकिन गुमान में रहना

मुहब्बतों में जो दिल बे-क़रार हो जाएँ
उन्हें नसीब कहाँ इत्मिनान में रहना

किसी किसी को दिया मर्तबा खुदा ने ये
किसी का होना किसी की अमान* में रहना

मुझे नसीब हुआ उसके ध्यान में रहना
ज़मीन पे होते हुए आसमान में रहना

--अज्ञात


अमान=security

जुज़ तेरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे

जुज़ तेरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे
तू कहां है मगर ऐ दोस्त पुराने मेरे
--अहमद फराज़


जुज़=other than

Source : http://www.urdupoetry.com/faraz31.html

शोला था जल-बुझा हूँ हवायें मुझे ना दो

शोला था जल-बुझा हूँ हवायें मुझे ना दो
मैं कब का जा चुका हूँ सदायें मुझे ना दो

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
अब तुम तो ज़िन्दगी की दुआयें मुझे ना दो

ऐसा कहीं ना हो के पलटकर ना आ सकूँ
हर बार दूर जा के सदायें मुझे ना दो

कब मुझ को ऐतेराफ़-ए-मुहब्बत ना था 'फ़राज़'
कब मैं ने ये कहा था सज़ायें मुझे ना दो

--अहमद फ़राज़


Source : http://www.urdupoetry.com/faraz07.html

Monday, December 7, 2009

खूबसूरती भी क्या बुरी चीज़ है

खूबसूरती भी क्या बुरी चीज़ है ग़ालिब
जिसने भी कभी डाली बुरी नज़र ही डाली

--मिरज़ा ग़ालिब

पहलू में रह के दिल ने दिया बड़ा फरेब

पहलू में रह के दिल ने दिया बड़ा फरेब
रखा है उसको याद, भुलाने के बाद भी

--अज्ञात

Sunday, December 6, 2009

हम याद नहीं करते तो भुलाते भी नहीं

हम याद नहीं करते तो भुलाते भी नहीं
हम हसते भी नहीं तो किसी को रुलाते भी नहीं
आप जैसे अनमोल दोस्त सम्भाल रखे हैं
अगर और बना नहीं सकते तो किसी को गंवाते भी नहीं

--अज्ञात

गुलशन में सब को जुस्तजू तेरी है

गुलशन में सब को जुस्तजू* तेरी है
बुल्बुल की ज़ुबां पे गुफ्तगू तेरी है
हर रंग में है जल्वा तेरी दोस्ती का
जिस फूल को सूंघता हूँ, खुश्बू तेरी है

--अज्ञात


जुस्तजू=Desire

है याद मुलाक़ात की वो शाम अभी तक

है याद मुलाक़ात की वो शाम अभी तक
मैं तुझको भुलाने में हूँ नाकाम अभी तक

आ तुझको दिखाऊँ तेरे बाद ए सितमगर
वीरान पड़ा है दर-ओ-बाम अभी तक

गर तर्क-ए-ताल्लुक को हुआ एक ज़माना
होंटों पे मचलता है तेरा नाम अभी तक
तर्क-ए-ताल्लुक=रिश्ता तोड़ना

महसूस ये होता है के वो हम से खफा हैं
क्या तर्क-ए-मोहब्बत का है इल्ज़ाम अभी तक

मैंखाने में भूले से चले आये हैं मोहसिन
एहबाब की नज़रों में है बदनाम अभी तक

--मोहसिन नक़वी

हर शाम हर रात इंतज़ार में गुज़री

हर शाम हर रात इंतज़ार में गुज़री
ज़िन्दगी बेबसी के सैलाब में गुज़री
हम वो फूल थे जिसे वो रख के भूल गये
फिर तमाम उम्र उनकी किताब में गुज़री

--अज्ञात

Saturday, December 5, 2009

यादों में बसा रखा है तुझे इस कदर

यादों में बसा रखा है तुझे इस कदर
कोई वक्त पूछे तो तेरा नाम बताते हैं

--अज्ञात

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता

ना मज़ा है दुश्मनी में ना है लुत्फ़ दोस्ती में
कोई ग़ैर ग़ैर होता कोई यार यार होता

ये मज़ा था दिल्लगी का के बराबर आग लगती
ना तुम्हें क़रार होता ना हमें क़रार होता

तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते
अगर अपनी ज़िन्दगी का हमें ऐतबार होता

--दाग़ देहलवी


Source http://www.urdupoetry.com/daag04.html

उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन

लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-नापायेदार में

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में

उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में

कितना है बद_नसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये
दो गज़ ज़मीन भी ना मिली कू-ए-यार में
कू-ए-यार=यार की गली

--बहादुर शाह ज़फर

तेरे हुस्न को परदे की ज़रूरत ही क्या है ग़ालिब

तेरे हुस्न को परदे की ज़रूरत ही क्या है ग़ालिब
कौन होश में रहता है, तुझे देखने के बाद

--मिरज़ा ग़ालिब

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गये

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गये
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गये

--ख़ातिर ग़ज़नवी


Source : http://www.urdupoetry.com/kgaznavi01.html

Friday, December 4, 2009

दुनिया में और भी वजह होती है दिल के टूट जाने की

दुनिया में और भी वजह होती है दिल के टूट जाने की...
लोग यूँ ही महब्बत को बदनाम किया करते हैं
--अज्ञात

अपने किरदार पे लोग रखते नहीं नज़र

अपने किरदार पे लोग रखते नहीं नज़र...
शिकवा करते हैं, मुक़द्दर के बिगड़ जाने का !!
--अज्ञात

Tuesday, December 1, 2009

ता उम्र सीने में रखा ये हमारा न हो सका

ता उम्र सीने में रखा ये हमारा न हो सका
तुमने मुस्कुरा कर देखा ये दिल तुम्हारा हो गया

--अज्ञात

तनहा पाते ही मुझको कर लेता है मेरे दिल का रुख

तनहा पाते ही मुझको कर लेता है मेरे दिल का रुख
मुझको ये काफिला तेरी यादों का लगता है

--जौली

ਰੋਗ ਬਣ ਕੇ ਰਹਿ ਗਿਆ, ਪਿਆਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਰੋਗ ਬਣ ਕੇ ਰਹਿ ਗਿਆ, ਪਿਆਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ
ਮੈਂ ਮਸੀਹਾ ਵੇਖਿਆ, ਬੀਮਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਇਹਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਮੇਰੀ, ਚੜਦੀ ਜਵਾਨੀ ਖਾ ਲਈ
ਕਿਉਂ ਕਰਾ ਨ ਦੋਸਤਾ, ਸਤਿਕਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਸ਼ਹਿਰ ਤੇਰੇ ਕਦਰ ਨਹੀਂ, ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁੱਚੇ ਪਿਆਰ ਦੀ
ਰਾਤ ਨੂੰ ਖੁੱਲਦਾ ਹੈ ਹਰ, ਬਾਜਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਫੇਰ ਮੰਜਿਲ ਵਾਸਤੇ, ਇੱਕ ਪੈਰ ਨ ਪੁੱਟਿਆ ਗਿਆ
ਇਸ ਤਰਾਂ ਕੁਛ ਚੁਭਿਆ, ਕੋਈ ਖਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਜਿੱਥੇ ਮੋਇਆਂ ਬਾਅਦ ਵੀ, ਕਫਨ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਨਸੀਬ
ਕੌਣ ਪਾਗਲ ਹੁਣ ਕਰੇ, ਇਤਬਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

ਏਥੇ ਮੇਰੀ ਲਾਸ਼ ਤੱਕ, ਨੀਲਾਮ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ
ਲੱਥਿਆ ਕਰਜ ਨ ਫਿਰ ਵੀ, ਯਾਰ ਤੇਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ

--शिव कुमार बटालवी


Read in Hindi

अब किसी और को चाहूँ, तो शिकायत कैसी

अब किसी और को चाहूँ, तो शिकायत कैसी
मुझ से बिछड़े हो, मोहब्बत मेरी आदत कर के
--अज्ञात