Saturday, June 9, 2012

मेरे लिए वो कबीले को छोड़ कर आता

हजूम में था वो खुल कर न रो सका होगा
मगर यकीन है के सब भर न सो सका होगा

वो शक्स जिस को समझने में मुझको उम्र लगी
बिछड के मुझसे किसी का न हो सका होगा

लरजते हाथ, शिकस्त सी डोर आंसू की
वो खुश्क फूल कहाँ तक पिरो सका होगा

बहुत उजाड थे पाताल उसकी आँखों के
वो आंसूं से न दामन भिगो सका होगा

मेरे लिए वो कबीले को छोड़ कर आता
मुझे यकीन है ये उस से न हो सका होगा

--अज्ञात

Source : http://www.freesms4.com/2011/04/02/mujhe-yakeen-hai-yeh-us-se-na-ho-saka-hoga/

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