Sunday, June 17, 2012

कहने को हम एक हैं, मगर दुःख अपना अपना

तुझसे छुप छुप के रोये तो ये बात खुली
कहने को हम एक हैं, मगर दुःख अपना अपना

--अज्ञात

No comments:

Post a Comment