Thursday, June 14, 2012

मुस्कराहट जवाब में रखना

मुस्कराहट जवाब में रखना
आंसुओं को नकाब में रखना

ज़िंदगी सिर्फ एक तेरी खातिर
रूह कब तक अज़ाब में रखना

मैंने ये तय नहीं किया अब तक
ज़िंदगी किस हिसाब में रखना

ठोकरें ज़ुल्मते सितम आंसू
सारी बातें हिसाब में रखना

मैंने अहमद फ़राज़ से सीखा
फूल ले कर किताब में रखना

जाम दुःख का हो चाहे सुख का हो
गर्क मुझको शराब में रखना

तुमको पहचानता नहीं कोई
फिर भी चेहरा नकाब में रखना

--अज्ञात

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