Sunday, December 11, 2011

विसाल-ए-यार फक़त आरज़ू की बात नहीं

न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़ार न सके,
वो रात जो की तेरे गेसुओं की रात नहीं
ये आरज़ू भीई बड़ी चीज़ है मगर हमदम
विसाल-ए-यार फक़त आरज़ू की बात नहीं

--महबूब फैज़ साहब

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