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न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़ार न सके, वो रात जो की तेरे गेसुओं की रात नहीं ये आरज़ू भीई बड़ी चीज़ है मगर हमदम विसाल-ए-यार फक़त आरज़ू की बात नहीं --महबूब फैज़ साहब
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