Thursday, October 6, 2011

वो जुगनू है लेकिन गुरूर करता है

सादा लफ्ज़ कहाँ इतना सुरूर करता है
ये शायर कोई नशा तो ज़रूर करता है

मैं सूरज हूँ पर नज़र झुका के चलता हूँ
वो जुगनू है लेकिन गुरूर करता है

--सतलज राहत

1 comment:

  1. बहुत खूब ! बधाई .. आप के नशे में सरूर है !
    खुश रहें !
    मेहरबानी करके यह वर्ड-वेरिफिकेशन हटा दें..

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