Tuesday, October 25, 2011

तेरे इस पाकीज़ा आँचल पे दाग लग जाए

कुछ साजिशों में ये मेरे दिमाग लग जाए
मेरे हाथो में जो तेरा सुहाग लग जाए

तेरी और मेरी ये दुनिया जो कहानी सुनले
तेरे इस पाकीज़ा आँचल पे दाग लग जाए

सफ़ेद बर्फ सा वो जो बदन दिखता है
मैं उसे छू लूं किसी दिन तो आग लग जाए

--सतलज रहत

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