चमन की बहारों में था आशियाना
ना जाने कहाँ खो गया वो ज़माना
तुम्हें भूलने की मैं कोशिश करूँगा
ये वादा करो के ना तुम याद आना
मुझे मेरे मिटने का ग़म है तो ये है
तुम्हें बेवफ़ा कह रहा है ज़माना
ख़ुदारा मेरी क़ब्र पे तुम ना आना
तुम्हें देख कर शक़ करेगा ज़माना
--कमर जलालवी
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