कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हम_ज़ुबाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार ना हो
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता
--शहरयार
Source : http://www.urdupoetry.com/shahryar10.html
खूबसूरत ग़ज़ल ,खूबसूरत शेर ज़नाब शहरयार की .....
ReplyDeleteशुक्रिया !