Sunday, October 30, 2011

दो चार नहीं मुझको फक़त एक ही दिखा दो

दो चार नहीं मुझको फक़त एक ही दिखा दो
वो शक्स जो अंदर से भी बाहर की तरह हो

--जावेद अख्तर

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