सारे नूर की रौशनी उस चेहरे मे सिमट आई है
देखने के बाद उसको चाँदनी भी शरमाई है
रोक दिया धड़कनो को उसने जलवानुमा होकर
क़ातिल निगाहों ने दिल पर बिजली गिराई है
इस मासूमियत पर उसका भी लगता है दिल आ गया
शरारती ये लट रुखसार चूमने को चली आई है
वक़्त भी रुक जाता है देखने को ये अंदाज़ उसका
किस नज़ाकत से वो लट गालों से हटाई है
दिल दीवाना हुआ है उसकी ऐसी ही अदाओं का
जैसे हया से, मुस्का के उसने अपनी चूड़ी घुमाई है
उसका रह रह कर मुस्कुराना खुद ही ये बताता है
जिस हुस्न के सब हैं दीवाने, वो भी किसी का तमन्नाई है
--रेहान खान
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Saturday, June 12, 2010
सारे नूर की रौशनी उस चेहरे मे सिमट आई है
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