Saturday, June 12, 2010

यूं इश्क़ का असर होगा सोचा ना था

यूं इश्क़ का असर होगा सोचा ना था
उसका दिल मेरा घर होगा सोचा ना था

मासूम निगाहों से उलझ बैठे क्या पता था
निशाना हम और तीर-ए-नज़र होगा सोचा ना था

इतनी मासूमियत से जान लेगा वो हमारी
इल्ज़ाम-ए-क़त्ल हम पर होगा सोचा ना था

इश्क़ की बाज़ी जीतने का जुनूं इस हद तक
की दाव पर दिल जिगर होगा सोचा ना था

जादू ऐसा चला देगा कोई दिल पर
ये सब से बेख़बर होगा सोचा ना था

नाज़ो अदा की बिजलियों के तमन्नाई थे हम भी मगर
इतना हसीन सितमगर होगा सोचा ना था

--रेहान खान

No comments:

Post a Comment