Monday, June 7, 2010

बात कम कीजे ज़हनात को छुपाते रहिये

बात कम कीजे ज़हनात को छुपाते रहिये
ये नया शहर है कुछ दोस्त बनाते रहिये
दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजिये रिश्ता
दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिये

--निदा फाजली
ज़हनात=intellect

2 comments:

  1. दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजिये रिश्ता
    दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिये

    बहुत सही.... भाई निदा फ़ाज़ली साहब को पढवानें के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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  2. बात कम कीजे ज़हनात को छुपाते रहिये
    ये नया शहर है कुछ दोस्त बनते रहिये
    दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजिये रिश्ता
    दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिये

    क्या नसीहत दी है याद रख्नने को दिल करता है , बहुत बहुत शुक्रिया आप का निदा फ़ाज़ली साहब को पढवानें के लिए .....

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