Friday, August 28, 2009

तुझे खबर है तुझे सोचने की खातिर हम

तुझे खबर है तुझे सोचने की खातिर हम
बहुत से काम मुकद्दर पे टाल रखते हैं

कोई भी फ़ैसला हम सोच कर नहीं करते
तुम्हारे नाम का सिक्का उछाल रखते हैं

तुम्हारे बाद ये आदत सी हो गयी अपनी
बिखरते सूखते पत्ते सम्भाल रखते हैं

खुशी सी मिल जाती है खुद को अज़ीयतें देकर
सो जान बूझ के दिल को निढाल रखते हैं

कभी कभी वो मुझे हंस के देख लेते हैं
कभी कभी मेरा बेहद खयाल रखते हैं

तुम्हारे हिज्र में ये हाल हो गया है अपना
किसी का खत हो उसे भी सम्भाल रखते हैं

खुशी मिले तो तेरे बाद खुश नहीं होते
हम अपनी आंख में हर दम मलाल रखते हैं

ज़माने भर से बचा कर वो अपने आंचल में
मेरे वजूद के टुकड़े सम्भाल रखते हैं

कुछ इस लिये भी तो बे-हाल हो गये हम लोग
तुम्हारी याद का बेहद खयाल रखते हैं

--अज्ञात

1 comment:

  1. तुम्हारे हिज्र में ये हाल हो गया है अपना
    किसी का खत हो उसे भी सम्भाल रखते हैं

    dil choo gayee ye panktiyan

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