Sunday, August 23, 2009

ना है सारे शहर में दीवाना मुझसा

ना है सारे शहर में दीवाना मुझसा
जल्द ही हो जायेगा जमाना मुझसा

तुम ख़ुशी, ख़ुशी की दवा लिखते हो
तब भी ना आएगा मुस्कुराना मुझसा

शेर-शायरी में हाथ-पैर मारने वालो
कभी तो सुनाया करो फ़साना मुझसा

मै नही एक पंहुचा हुआ रिंद तो क्या
तू कुछ हो तो सजा मयखाना मुझसा

नए ख़याल नए विचार ला दे दे मुझे
दुनिया याद करेगी, अफसाना मुझसा

उन आशिको का इश्क बयान करता हूँ
जो चाहते है ख़ुशी और याराना मुझसा

बेदिल राजा है सारे दिल्ली शहर का
हर महफ़िल में करो आना-जाना मुझसा

--दीपक बेदिल

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