Friday, August 21, 2009

दस्तूर किसी मजहब का ऐसा भी निराला हो

दस्तूर किसी मजहब का ऐसा भी निराला हो
एक हाथ में हो इल्म ,दूजे में निवाला हो
--अज्ञात


Source : http://anuragarya.blogspot.com/2009/01/blog-post.html

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