हमें तो अब भी वो गुज़रा ज़माना याद आता है
तुम्हें भी क्या कभी कोई दीवाना याद आता है
हवायें तेज़ थी, बारिश भी थी, तूफान भी था लेकिन
ऐसे में तेरा वादा निभाना याद आता है
गुज़र चुकी थी बहुत रात बातों बातों में
फिर उठ के तेरा वो शम्मा बुझाना याद आता है
घटायें कितनी देखी हैं पर मुझे 'असरार'
किसी का रुख पे ज़ुल्फें गिराना याद आता है
--असरार अनसारी
great ghazal..nostalgic..congratz
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