Sunday, August 23, 2009

मुद्‍दआ वयान हो गया

मुद्‍दआ वयान हो गया
सर लहू-लुहान हो गया।

कै़द से रिहाई क्या मिली
तंग आसमान हो गया।

तेरे सिर्फ़ इक वयान से
कोई बेजुबान हो गया।

छिन गया लो कागज़े-हयात
ख़त्म इम्तिहान हो गया।

रख गया गुलाब क़ब्र पर
कौन कद्रदान हो गया।

--दिक्षीत दनकौरी


Source : http://aajkeeghazal.blogspot.com/2009/08/blog-post_22.html

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