कभी अपने हाथों में मेरा हाथ नही रखता
वो साथ तो रहता है मुझे साथ नही रखता
या तो मुझसे कभी मेरे वो सपने ना चुरता
या मेरी आँखों में लंबी सी रात नही रखता
उसने तो दिल से मेरा ये प्यार भी निकाला
सच कहा था दिल में कोई बात नही रखता
फैला के दामन भी उस से प्यार ना मिलेगा
फकीरों के हाथों मे कभी खैरात नही रखता
हर बार नयी ठोकर उस मासूम को मिली है
अपने साथ गुजिश्ता तज़रबात नही रखता
--अनिल पराशर
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