Sunday, August 23, 2009

कभी अपने हाथों में मेरा हाथ नही रखता

कभी अपने हाथों में मेरा हाथ नही रखता
वो साथ तो रहता है मुझे साथ नही रखता

या तो मुझसे कभी मेरे वो सपने ना चुरता
या मेरी आँखों में लंबी सी रात नही रखता

उसने तो दिल से मेरा ये प्यार भी निकाला
सच कहा था दिल में कोई बात नही रखता

फैला के दामन भी उस से प्‍यार ना मिलेगा
फकीरों के हाथों मे कभी खैरात नही रखता

हर बार नयी ठोकर उस मासूम को मिली है
अपने साथ गुजिश्ता तज़रबात नही रखता

--अनिल पराशर

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