Tuesday, December 7, 2010

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का

अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का
याद आता है हमें हाय! ज़माना दिल का

तुम भी मुँह चूम लो बेसाख़ता प्यार आ जाए
मैं सुनाऊँ जो कभी दिल से फ़साना दिल का

पूरी मेंहदी भी लगानी नहीं आती अब तक
क्योंकर आया तुझे, ग़ैरों से लगाना दिल का

इन हसीनों का लड़कपन ही रहे, या अल्लाह
होश आता है, तो आता है सताना दिल का

निगाह-ए-यार ने की ख़ाना ख़राबी ऐसी
न ठिकाना है जिगर का, न ठिकाना दिल का

--दाग़ देहलवी

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