मोहब्बतों में अगर कोई रस्म-ओ-राह न हो
सुकूं तबाह न हो, ज़िन्दगी गुनाह न हो
कुछ ऐतबार भी लाजिम है दिल्लगी के लिए
किसी से प्यार अगर हो तो बेपनाह न हो
इस एहतियात से मैं तेरे साथ चलता हूँ
तेरी निगाह से आगे मेरी निगाह न हो
मेरा वजूद है सच्चाइयों का आइना
ये और बात के मेरा कोई गवाह न हो
--अज्ञात
इस एहतियात से मैं तेरे साथ चलता हूँ
ReplyDeleteतेरी निगाह से आगे मेरी निगाह न हो
yah asli sher bahut khub