ये तो सोचो सवाल कैसा है
देश क़ा आज हाल कैसा है
जिससे मज़हब निकल नहीं पाते
साजिशों क़ा वो जाल कैसा है
आए दिन हादसे ही होते हैं
सोचता हूँ ये साल कैसा है
आपने आग को हवा दी थी
जल गए तो मलाल कैसा है
जान लेता है बेगुनाहों की
आपका ये कमाल कैसा है
दुश्मनी से `तुषार` क्या हासिल
दोस्ती क़ा ख़याल कैसा है
--नित्यानंद तुषार
Source : http://ntushar.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
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