बिसात-ए-इश्क में हर दाव दिल से चला जाता है
ज़रा भी चूके कहीं, तो हार हुआ करती है
इजहार-ए-इश्क का सबक आप हम से लीजिए
पहली दफा हमेशा इनकार हुआ करती है
न हो इनकार तो होता इकरार भी नहीं
इस तरह की कशमकश कई बार हुआ करती है
अगर न बने बात तो बढ़कर हाथ ही थाम लो
जंग-ए-इश्क आर या पार हुआ करती है
गर न माने दिल ज़लालत से गिरने को
तो लिख कर बयाँ कर दो, फिर कलम ही आखिरी हथियार हुआ करती है :)
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