मुकद्दर आजमाना चाहते हैं
तुम्हें अपना बनाना चाहते हैं
तुम्हारे वास्ते क्या सोचते हैं
निगाहों से बताना चाहते हैं
गलत क्या है, जो हम दिल मांग बैठे
परिंदे भी ठिकाना चाहते हैं
परिस्थितियां ही अक्सर रोकती हैं
मुहब्बत सब निभाना चाहते हैं
बहुत दिन से हैं इन आँखों में आंसू
तुषार अब मुस्कुराना चाहते हैं
--नित्यानंद तुषार
http://ntushar.blogspot.com/
परिंदे भी ठिकाना चाहते हैं
ReplyDeleteपरिन्दों को दरिन्दों की निगाह से बचा कर रखिये
सुन्दर अभिव्यक्ति
गलत क्या है, जो हम दिल मांग बैठे
ReplyDeleteपरिंदे भी ठिकाना चाहते हैं
सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी
योगेश जी
ReplyDeleteनमस्कार
बहुत दिन से हैं इन आँखों में आंसू
पंक्ति ये है कृपया संशोधन करें .
नित्यानंद तुषार
achchhi lagi...
ReplyDelete@Nityanand,
ReplyDeleteMade the correction.