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मैं पट्रीयों की तरहा ज़मी पर पड़ा रहा सीने से गम गुज़रते रहे रेल की तरह --मुनव्वर राणा
मैं पट्रीयों की तरहा ज़मी पर पड़ा रहासीने से गम गुज़रते रहे रेल की तरहye sher munawwar rana saheb ka hai......
Kua baat hai ... gazab ka sher hai ..
मैं पट्रीयों की तरहा ज़मी पर पड़ा रहा
ReplyDeleteसीने से गम गुज़रते रहे रेल की तरह
ye sher munawwar rana saheb ka hai......
Kua baat hai ... gazab ka sher hai ..
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