Tuesday, October 16, 2012

Dil ka ameer muqaddar ka gareeb tha


दिल का अमीर मुक़द्दर का गरीब था
मिल के बिछडना मेरा नसीब था
घः के भी कुछ न कर सके
घर भी जलता रहा, समंदर भी करीब था

--अज्ञात

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