Wednesday, October 17, 2012

पयाम आए हैं उस यार-ए-बेवफा के मुझे

पयाम आए हैं उस यार-ए-बेवफा के मुझे
जिसे क़रार ना आया कहीं भुला के मुझे

जूदाईयाँ हों तो ऐसी की उम्र भर ना मिले
फरेब तो दो ज़रा सिलसिले बढ़ा के मुझे

मैं खुद को भूल चुका था मगर जहाँ वाले
उदास छोड़ गये आईना दिखा के मुझे

--अहमद फराज़

1 comment:

  1. मैं खुद को भूल चुका था मगर जहाँ वाले
    उदास छोड़ गये आईना दिखा के मुझे

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