निशां तक न मिलेंगे मेरी वफ़ा के उसे
के मैंने राह बदल दी है आजमा के उसे !
कभी न हर्फ़ कोई उसकी सादगी का खुला
वर्क वर्क पढ़ा मैंने दिल लगा के उसे !!
जो सब का हाल हुआ था वो मेरा हाल हुआ,
बनी न बात, कोई बात भी सुना के उसे !!
मुझे यकीन है वो लौट कर भी आएगा
मगर उदास हूँ अब रास्ता दिखा के उसे
--अज्ञात
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