Sunday, January 29, 2012

न छेड़ किस्सा-ऐ-उल्फत. बड़ी लम्बी कहानी है,

न छेड़ किस्सा-ऐ-उल्फत. बड़ी लम्बी कहानी है,

मैं ज़माने से नहीं हारा. किसी की बात मानी है...!!

--अज्ञात

7 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    कल 01/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, कैसे कह दूं उसी शख्‍़स से नफ़रत है मुझे !

    धन्यवाद!

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  2. बहुत बढ़िया...

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  3. वाह...
    तारीफ में शब्द नहीं....

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  4. kisi ke sawaal ke jawaab mein isse behtar tamaacha lagaata hua sher aur kya ho sakta hai..
    mazaa aa gaya ekdum :)

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