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न छेड़ किस्सा-ऐ-उल्फत. बड़ी लम्बी कहानी है, मैं ज़माने से नहीं हारा. किसी की बात मानी है...!! --अज्ञात
बेहतरीन प्रस्तुति कल 01/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, कैसे कह दूं उसी शख़्स से नफ़रत है मुझे ! धन्यवाद!
वाह!
बहुत बढ़िया...
वाह...तारीफ में शब्द नहीं....
kisi ke sawaal ke jawaab mein isse behtar tamaacha lagaata hua sher aur kya ho sakta hai.. mazaa aa gaya ekdum :)
बहुत खूब.....
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 01/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, कैसे कह दूं उसी शख़्स से नफ़रत है मुझे !
धन्यवाद!
वाह!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteतारीफ में शब्द नहीं....
kisi ke sawaal ke jawaab mein isse behtar tamaacha lagaata hua sher aur kya ho sakta hai..
ReplyDeletemazaa aa gaya ekdum :)
बहुत खूब.....
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