रुखसत हुआ तो बात मेरी मान कर गया
जो था उसके पास वो मुझे दान कर गया
बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गयी
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया
दिलचस्प वाक्य है की कल एक अज़ीज़ दोस्त
अपनी मुफाद पर मुझे कुर्बान कर गया
इतनी सुधर गयी है जुदाई में ज़िन्दगी
हाँ ! वो जफा से तो मुझ पे एहसान कर गया
मैं बात बात पर कहता था जिसको जान
वो शख्स आखिर आज मुझे बेजान कर गया
--खालिद शरीफ
बहुत खूब।
ReplyDelete---------
मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।
"ख़ालिद शरीफ़" की गझल है
ReplyDeleteThanks Nimish. Updated.
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