समंदर जैसा बेक़रार कर के छोड़ दिया..
इश्क में उसको गिरफ्तार कर के छोड़ दिया ..
मौत अब आ ही जा तू साथ दवाई लेकर ..
ज़िन्दगी ने मुझे बीमार कर के छोड़ दिया ...
नसीब ने भी अजब खेल दिखाया के हमे ...
हर एक शय का तलबगार कर के छोड़ दिया ...
उम्र गुजरेगी उसकी भी ग़लतफ़हमी में ...
हमने भी इश्क का इज़हार कर के छोड़ दिया ...
प्यार में सबको ही मैंने सबक सिखाया है ...
तुझे भी कितना समझदार कर के छोड़ दिया ...
वो तो गलियों में दीवानी सी फिरा करती थी...
मैंने बस थोडा सा सिंगार कर के छोड़ दिया..
हाँ सच है प्यार कई बार भी हो सकता है ...
"सतलज" तुने क्यों एक बार कर के छोड़ दिया..
--सतलज राहत
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Saturday, January 21, 2012
इश्क में उसको गिरफ्तार कर के छोड़ दिया ..
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wow;;
ReplyDeletenice shayari;;