Saturday, January 14, 2012

सोया हुआ ज़मीर जगाना भी चाहिए

खुद से कभी आँख मिलाना भी चाहिए
सोया हुआ ज़मीर जगाना भी चाहिए

कुछ न कहो तुम जुबां से, गर कह दिया
तो उसको निभाना भी चाहिए

बे-हिम्मती को पास फटकने न दो कभी
मायूसियों से दिल को बचाना भी चाहिए

इज्ज़त गयी तो मौत से बत्तर है ज़िंदगी
और इज्ज़त को जान दे के बचाना भी चाहिए

एक रोज इनक़लाब भी चुपके से आएगा
ये बात दोस्तों को बताना भी चाहिए

नफरत जला रही है तो इसका भी है इलाज
उल्फत का बीज दिल में लगाना भी चाहिए

जो ढूँढ़ते हैं सिर्फ बुराई हर एक में
आइना बन के उनको दिखाना भी चाहिए

मिर्ज़ा अमल का वक़्त है बातें तो हो चुकीं
कश्ती को अब भंवर से बचाना भी चाहिए

खुद से कभी आँख मिलाना भी चाहिए
सोया हुआ ज़मीर जगाना भी चाहिए

--इकबाल मिर्ज़ा

2 comments:

  1. कुछ न कहो तुम जुबां से, गर कह दिया
    तो उसको निभाना भी चाहिए

    ...bahut umda janab.... yogi ji bahut khoob ... @anup dwivedi

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