Sunday, January 22, 2012

एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया

रुखसत हुआ तो बात मेरी मान कर गया
जो था उसके पास वो मुझे दान कर गया

बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गयी
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया

दिलचस्प वाक्य है की कल एक अज़ीज़ दोस्त
अपनी मुफाद पर मुझे कुर्बान कर गया

इतनी सुधर गयी है जुदाई में ज़िन्दगी
हाँ ! वो जफा से तो मुझ पे एहसान कर गया

मैं बात बात पर कहता था जिसको जान
वो शख्स आखिर आज मुझे बेजान कर गया

--खालिद शरीफ

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