Friday, June 24, 2011

चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले

चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले

हिज्र कि चोट अजब सन्ग-शिकन होती है
दिल की बेफ़ैज़ ज़मीनों से ख़ज़ाने निकले
[hijr = separation; sang = stone; shikan = wrinkle/crease/crack]
[befaiz = that which does not yield anything]


उम्र गुज़री है शब-ए-तार में आँखें मलते
किस उफ़क़ से मेरा ख़ुर्शीद ना जाने निकले
[shab-e-taar = dark night; ufaq = horizon; Khurshiid = sun]

कू-ए-क़ातिल में चले जैसे शहीदों का जुलूस
ख़्वाब यूँ भीगती आँखों को सजाने निकले
[kuu-e-qaatil = beloved's street; juluus = procession]

दिल ने इक ईंट से तामीर किया ताज महल
तू ने इक बात कही लाख फ़साने निकले
[ii.nT = brick; taamiir = (to) construct]

मैंने 'अमजद' उसे बेवास्ता देखा ही नहीं
वो तो ख़ुश्बू में भी आहट के बहाने निकले
[bevaastaa = without reason]

--अमजद इस्लाम अमजद

Source : http://www.urdupoetry.com/amjad02.html

No comments:

Post a Comment