चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले
हिज्र कि चोट अजब सन्ग-शिकन होती है
दिल की बेफ़ैज़ ज़मीनों से ख़ज़ाने निकले
[hijr = separation; sang = stone; shikan = wrinkle/crease/crack]
[befaiz = that which does not yield anything]
उम्र गुज़री है शब-ए-तार में आँखें मलते
किस उफ़क़ से मेरा ख़ुर्शीद ना जाने निकले
[shab-e-taar = dark night; ufaq = horizon; Khurshiid = sun]
कू-ए-क़ातिल में चले जैसे शहीदों का जुलूस
ख़्वाब यूँ भीगती आँखों को सजाने निकले
[kuu-e-qaatil = beloved's street; juluus = procession]
दिल ने इक ईंट से तामीर किया ताज महल
तू ने इक बात कही लाख फ़साने निकले
[ii.nT = brick; taamiir = (to) construct]
मैंने 'अमजद' उसे बेवास्ता देखा ही नहीं
वो तो ख़ुश्बू में भी आहट के बहाने निकले
[bevaastaa = without reason]
--अमजद इस्लाम अमजद
Source : http://www.urdupoetry.com/amjad02.html
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Friday, June 24, 2011
चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले
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