वफ़ा को आजमाना चाहिए था
हमारा दिल दुखाना चाहिए था
आना, न आना मेरी मर्ज़ी है
तुमको तो बुलाना चाहिए था
हमारी ख्वाहिश एक घर की थी
उसे सारा ज़माना चाहिए था
मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थी
समंदर को बहाना चाहिए था
जहाँ पर पहुंचा मैं चाहता हूँ
वहाँ पे पहुँच जाना चाहिए था
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है
चरागार भी पुराना चाहिए था
मुझसे पहले वो किसी और की थी
मगर कुछ शायराना चाहिए था
चलो माना ये छोटी बात है मगर
तुम्हे सब कुछ बताना चाहिए था
तेरा भी शहर में कोई नहीं था
मुझे भी इक ठिकाना चाहिए था
के किस को किस तरह से भूलते हैं
तुम्हे मुझको सिखाना चाहिए था
ऐसा लगता है लहू में हमको
कलम को भी डुबाना चाहिए था
अब मेरे साथ के तंज न कर
तुझे जाना था, जाना चाहिए था
क्या बस मैंने ही की बेवफाई ?
जो भी सच है बताना चाहिए था
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है
मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था
बस एक तू ही मेरे साथ में है
तुझे भी रूठ जाना चाहिए था
हमारे पास जो ये फन है मिया
हमें इस से कमाना चाहिए था
अब ये ताज किस काम का है
हमें सर को बचाना चाहिए था
उसी को याद रखा उम्र भर
के जिसको भूल जाना चाहिए था
मुझसे बात भी करनी थी उसको
गले से भी लगाना चाहिए था
उसने प्यार से बुलाया था
हमें मर के भी आना चाहिए था
तुम्हे 'सतलज' उसे पाने की खातिर
कभी खुद को गवाना चाहिए था
--सतलज राहत
Satlaj rahat on facebook
If you know, the author of any of the posts here which is posted as Anonymous.
Please let me know along with the source if possible.
Monday, June 20, 2011
तुम्हे 'सतलज' उसे पाने की खातिर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment